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ज़िंदा बट नॉट अलाइव

(2 customer reviews)

Original price was: ₹250.00.Current price is: ₹220.00.

About Book

इश्क़ में हारे लोग तन्हा रहते है,

कभी ज़िंदा तो कभी मुर्दा रहते है,

बेबसी, बेकसी, बेकरारी रखते है,

कुछ आशिक दिल में दर्द बेपनाह रखते है ।

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About Book

इश्क़ दुआ सा लगता है उनकी बाहों में,

इश्क़ बदुआ सा लगता है उनकी यादों में,

बस ये इश्क़, इश्क़ नहीं लगता है उनकी आँखों में ।

 

रज़ा, सज़ा, दुआ, दवा, ख़फ़ा, बेवफ़ा,  दिल का दर्द, आँखों का सुकून, साँसों की बेचैनी, लम्हों का इंतज़ार क्या है आख़िर ये मोहब्बत?

हर किसी के लिए इसके मायने अलग है। किसी के लिए सज़ा, तो किसी के लिए इंतज़ार है। किसी की तलाश तो किसी की आस है बस मोहब्बत।

ऐसी ही एक तलाश रही मोहब्बत की संध्या को,  कुछ ऐसा ही इंतज़ार रहा सरु को मोहब्बत का। कोई प्यार की तलाश में इंसा बना तो कोई बना हैवान, हर किसी ने अपने मायने से किया प्यार, मगर कोई खुल कर प्यार को जी नहीं पाया। आख़िर कौन प्यार में जी कर ज़िंदा रहता है?

 

About Author

सुगन्धा गुप्ता सिर्फ़ एक नाम नहीं है बल्कि वो एक उम्मीद है ख़ास कर के अपने परिवार के लिए। इनका जन्म 7 अगस्त में गाँव नारेपुर बछवाड़ा, जिला बेगूसराय बिहार में हुआ। एक मध्यवर्गय और बहुत ही पिछड़े हुई  सोच वाले परिवार में बहुत ही संघर्ष करते हुए इनकी माँ ने इन्हें बड़ा किया। इनके जीवन के सबसे मजबूत स्तम्भ इनकी नानी और मामा रहे जिनसे इन्हें प्रेम, ज्ञान और सबसे कीमती चीज़ आज़ादी मिली। इन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा दिल्ली से प्राप्त की। पेशे से ये अकॉउंटेंट है। कविताओं में इनकी रूचि बचपन से बहुत ज़्यादा रही है। ये प्रेमचंद, नागार्जुन, सद्दत हसन मंटो जी की कई सारी कहानियाँ, कविताएँ और शायरियाँ पढ़ती हुई बड़ी हुई है। इनकी साहित्य में बढ़ती रूचि कब इनके जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन गया ये खुद भी नहीं जानती और अप्रैल 2018 में इन्होंने सबसे पहले शायरियाँ लिखना प्रारम्भ किया-

 

यूँ तो रात ढलती रही तेरी बाहों में,

मगर तेरी खोज जारी रही मेरी बाहों में

 

 

Email: sugandha99g@gmail.com  |  Instagram: sugandhagupta.99

 

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