पर्दे के पीछे की औरत

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About Book

‘पर्दे’ का मतलब बहुत कुछ है – पर्दा घूँघट है, अज्ञानता है, लोगों की बेपरवाही है, और ना जाने क्या-क्या है। पर यह तो तय है कि पर्दे आगे तो बढ़ने नहीं देते। पर विचारों से यह स्त्रियां कभी पीछे नहीं रहती, विचार तो सुबह की रोशनी की तरह होते हैं जो घने अंधेरों को चीर कर एक नई ज़िंदगी को प्रस्फुटित करते हैंl विचारों में ही तो जीवन है। और इन विचारों पर कोई बंधन, कोई दीवार, कोई ऊंच-नीच, कुछ नहीं चलता।

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‘पर्दे’ का मतलब बहुत कुछ है – पर्दा घूँघट है, अज्ञानता है, लोगों की बेपरवाही है, और ना जाने क्या-क्या है। पर यह तो तय है कि पर्दे आगे तो बढ़ने नहीं देते। पर विचारों से यह स्त्रियां कभी पीछे नहीं रहती, विचार तो सुबह की रोशनी की तरह होते हैं जो घने अंधेरों को चीर कर एक नई ज़िंदगी को प्रस्फुटित करते हैंl विचारों में ही तो जीवन है। और इन विचारों पर कोई बंधन, कोई दीवार, कोई ऊंच-नीच, कुछ नहीं चलता।

 

About Author

05-08-1970 में गुजरात के जामनगर में जन्मी अलका शर्मा बचपन से ही अपनी ज़िंदगी में आने वाले हर शख्स, हर क्षण से प्रेरणा लेकर उसे कविता का रूप दे दिया करती। लेकिन सबसे ज्यादा उनकी ज़िंदगी को प्रेरित करने वाले उनके पापा हैं। जिन्होने अलका शर्मा की कविताओं पर विश्वास जताया। अलका शर्मा M.A (English), B.ed के बाद, पिछले 25 सालों से पालम के राहुल मॉडल पब्लिक स्कूल में कार्यरत है अध्यापिका से प्रधानाचार्य तक का सफ़र उनका बहुत ही संघर्षमय रहा है। नौकरी पेशा औरतों के लिए उसकी ज़िंदगी दोहरी होती है नौकरी और घर के बीच में समन्वय बिठाना एक बहुत बड़ा मुस्किल होता हैl फिर भी समाज इन स्त्रियों को कभी भी उनके योगदान का मेहनताना नहीं दे पातीl ग्रहणी एवं कामकाजी महिलाओं के बीच भेदभाव करने वाला यह समाज ही है। ​

 

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