“ज़िंदगी तो है क्या ज़िंदगी कुछ भी नहीं।
किसी का साथ पा चलो, किसी का साथ निभा चलो।”
हर इंसान अपने साथ एक डायरी लेकर चलता है यादों की डायरी, ख़्यालों की डायरी या कहो सवालों की डायरी, जिसमें वह अपनी जिंदगी के कीमती पलों को एक जगह सजो कर रखता है। ताकि ज़रूरत पड़ने पर इंसान ज़हनी तौर पर उस पल में लौट सके।
जिंदगी एक डायरी उन्हीं यादों ख़्यालों और सवालों का शब्दों में पिरो कर रखा गया है ख़ूबसूरत कलामों का ज़ख़ीरा है।
लेखक के बारे में
नबील ज़ैदी ने इस पुस्तक में लेखक की भूमिका निभाई है। उन्होंने स्नातक स्तर की पढ़ाई उत्तर प्रदेश टेक्निकल यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश से प्राप्त की है, एवम् शिक्षा विभाग में कार्यरत है।
The Social Tape मंच से इनके लेखन कार्य को आरंभ मिला एवम् युवा लेखकों में उभरते हुए चेहरे हैं। इनके कलाम, अंदाज़ ए बयां एवम् प्रतिभा ने लोगो के दिल में अपनी अलग पहचान बनाई है। उनके बहुत से कलामों में से “हक़ अदा ना हो सका“ व “मेरा कलाम बाबा के नाम“ जैसे कलामों को लोकप्रियता मिली तथा इन कलामों को The Social Tape मंच पर सराहना मिली है।
उम्मीदों के धागे पुस्तक में सह-लेखक की भूमिका भी निभा चुके है। इसके साथ साथ युवाओं में काव्य और साहित्य को प्रोत्साहित करने में योगदान देते है।
यह नबील ज़ैदी जी की पहली पुस्तक है इसे अपने प्रेम से नवाजे।
Email: zaidisyed00@gmail.com
Instagram: nabeelali007
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