जिजीविषा

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About Book

‘जिजीविषा’ का अर्थ है — जीवन जीने की प्रबल इच्छा। यह पुस्तक उसी जीवन-जिज्ञासा और उत्साह की अभिव्यक्ति है, जो हमें हर परिस्थिति में जीने का संबल देती है। एक कवि का हृदय अपने आस-पास के परिवेश के प्रति अत्यंत संवेदनशील और सजग होता है। वह साधारण घटनाओं में भी असाधारण अर्थ खोज लेता है। इस पुस्तक में कवयित्री ने अपने चारों ओर घट रही छोटी-बड़ी घटनाओं को, भावनाओं की खिचड़ी को, साफ-सुथरे शब्दों में पिरोने का एक विनम्र प्रयास किया है।

यह संग्रह विभिन्न पृष्ठभूमियों पर आधारित कविताओं का संकलन है, जहाँ हर कविता एक नई भावना, एक नए अनुभव से जोड़ने की कोशिश करती है। कहीं यह कविताएं स्वतंत्रता सेनानियों की वीरगाथा सुनाकर दिल में देशभक्ति का संचार करती हैं, तो कहीं एक बहू की मूक पीड़ा को स्वर देती हैं। कहीं यह एक बच्चे की प्यार की प्यास को दर्शाती हैं, तो कहीं अपने प्रेमी से दूर एक प्रेमिका की व्याकुल पुकार बन जाती हैं। इस संग्रह में मानव जीवन की लगभग हर भावना — प्रेम, पीड़ा, करुणा, संघर्ष, उत्सव और आशा — को शब्दों में पिरोने का प्रयास किया गया है।

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About Book

‘जिजीविषा’ का अर्थ है — जीवन जीने की प्रबल इच्छा। यह पुस्तक उसी जीवन-जिज्ञासा और उत्साह की अभिव्यक्ति है, जो हमें हर परिस्थिति में जीने का संबल देती है। एक कवि का हृदय अपने आस-पास के परिवेश के प्रति अत्यंत संवेदनशील और सजग होता है। वह साधारण घटनाओं में भी असाधारण अर्थ खोज लेता है। इस पुस्तक में कवयित्री ने अपने चारों ओर घट रही छोटी-बड़ी घटनाओं को, भावनाओं की खिचड़ी को, साफ-सुथरे शब्दों में पिरोने का एक विनम्र प्रयास किया है।

यह संग्रह विभिन्न पृष्ठभूमियों पर आधारित कविताओं का संकलन है, जहाँ हर कविता एक नई भावना, एक नए अनुभव से जोड़ने की कोशिश करती है। कहीं यह कविताएं स्वतंत्रता सेनानियों की वीरगाथा सुनाकर दिल में देशभक्ति का संचार करती हैं, तो कहीं एक बहू की मूक पीड़ा को स्वर देती हैं। कहीं यह एक बच्चे की प्यार की प्यास को दर्शाती हैं, तो कहीं अपने प्रेमी से दूर एक प्रेमिका की व्याकुल पुकार बन जाती हैं। इस संग्रह में मानव जीवन की लगभग हर भावना — प्रेम, पीड़ा, करुणा, संघर्ष, उत्सव और आशा — को शब्दों में पिरोने का प्रयास किया गया है।

जिजीविषा’ उन सभी लोगों के लिए है, जो कभी-कभी स्वयं को जीवन से हारता हुआ महसूस करते हैं। यह पुस्तक उन्हें यह याद दिलाने का एक प्रयास है कि ज़िंदगी केवल काटने के लिए नहीं, बल्कि जीने के लिए है। खुद में जीवन जीने की चाह को जगाना और उसे हर हाल में जीवित रखना आवश्यक है। जीवन अनुभवों का नाम है — कुछ मधुर, कुछ कटु। यह एक बहती नदी की तरह है, और पानी का स्वभाव ही बहना होता है।

इसलिए जीवन के प्रवाह में स्वयं को बहने दीजिए — पूरे मन से, पूरे प्रेम से। अपनी ‘जिजीविषा’ को संभालिए, क्योंकि वही तो है जो हमें ज़िंदा रखती है।

 

About Author

दीपिका, जिन्‍हें साहित्यिक मंचों पर लोग दीपिका भारती के नाम से भी जानते हैं, एक संवेदनशील हृदय की कवयित्री हैं, जिनकी लेखनी जीवन के अनुभवों, भावनाओं और समाज की जटिलताओं को सहज और प्रभावशाली शब्दों में व्यक्त करती है। उन्होंने मात्र 15 वर्ष की आयु में अपनी पहली कविता लिखी थी, और तभी से शब्दों से उनका यह आत्मीय रिश्ता शुरू हुआ।

हिंदी विषय से उनका विशेष लगाव रहा है, जो स्कूल के दिनों से ही स्पष्ट झलकता रहा है। वे अपने विद्यालय की पत्रिकाओं में नियमित रूप से कविताएं प्रकाशित करती थीं, जो उनके साहित्यिक रुझान की शुरुआती झलक थीं।

शैक्षणिक दृष्टि से दीपिका ने देशबंधु कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) से रासायनिक शास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है, तत्पश्चात इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली से शिक्षाशास्त्र (B.Ed) में भी शिक्षा पूर्ण की। विज्ञान की पृष्ठभूमि होते हुए भी उनके भीतर एक कवयित्री का हृदय सदैव धड़कता रहा।

दीपिका की ओपन माइक यात्रा की शुरुआत ‘The Social Tape’ जैसे प्रतिष्ठित मंच से हुई, जहाँ उन्हें अपनी प्रस्तुति पर भरपूर सराहना और स्नेह मिला। इस अनुभव ने उनके आत्मविश्वास को नई ऊँचाइयाँ दीं और उनकी कविताएं जनमानस से जुड़ने लगीं। वे ‘The Social Tape’ की सदैव आभारी हैं, जिसने उन्हें एक मंच दिया जहाँ उन्होंने अपनी भावनाओं को स्वर दिया।

उनकी कविताएं प्रेम, समाज, स्त्री-अस्तित्व और आत्मान्वेषण जैसे विषयों को छूती हैं। सरल शब्दों में गहराई को पिरोना और पाठकों से आत्मिक संवाद स्थापित करना उनकी विशेषता है।

यह पुस्तक उनके अब तक के रचनात्मक सफर का सार है — एक ऐसी यात्रा जिसमें भावनाएं काग़ज़ पर उतरीं, और कविताएं जीवन का दर्पण बन गईं।

 

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